सनातन धर्म यानी हिन्दू धर्म में किसी भी काम की शुरुआत अगर गणेश पूजा से की जाए तो बहुत ही शुभ माना जाता है। कहते हैं गणेश भगवान विघ्न हर्ता हैं और इनके पूजन से जीवन में आने वाली सभी कठिनाईयां दूर हो जाती हैं। कहते हैं भगवान शिव ने गणेश भगवान को वरदान दिया था की कलयुग में किसी भी कार्य को करने से पहले अगर गणेश का पूजन किया जाए तो उसकी पूजा सफल मानी जाएगी।
आज हम आपको बताने जा रहे गणेश भगवान की पूजन कोई क्या विधि है :-
श्री गणेश की पूजा बहुत ही कल्याणकारी है। किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए गणेश पूजन ज़रूरी माना जाता है। धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो। श्रीगणेश चतुर्थी को कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। ये हर वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि को श्री गणपति भगवान की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इन्हें यह तिथि बहुत प्रिय है।भगवान गणेश की सवारी चूहा है और गणपति पूजन में मोदक यानी लड्डू का विशेष महत्व है।
गणेश पूजा के लिए फल, फूल, पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि सामग्री को इकठ्ठा कर पूजा करें। गणेश भगवान की पूजा में सफ़ेद वस्त्र का विशव महत्व है यानी गणेश पूजा में भगवन को सफ़ेद वस्त्र अर्पित करने चाहिए। श्रीगेश को शुद्ध स्थान से चुनी हुई दुर्वा को धोकर ही चढ़ाना चाहिए। माना जाता है की दूर्वा चढ़ाने से वंश वृद्धि होती है। इसलिए जिस भी दम्पति को संतान ना हो उसे गणेश जी की पूजा में दुर्वा ज़रूर चढ़ाना चाहिए। कहते हैं की जो भी भक्त भगवान गणेश का व्रत या पूजा करता है उसे भगवान की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति अवश्य ही होती है।